8:25 am Friday , 31 January 2025
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राम और केवट संवाद की कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रध्दालु

राम और केवट संवाद की कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रध्दालु

बिल्सी में श्रीराम कथा का पांचवां दिन,उमड़ी भीड़

बिल्सी। श्री रामकृष्ण समिति के तत्वावधान में नगर के माहेश्वरी भवन में चल रही श्रीराम कथा के पांचवे दिन ऋषिकेश से पधारे सन्त अयोध्यादास जी रामायणी भगवान राम और केवट संवाद की कथा को बड़े ही मनोहरी ढंग से सुनाई। जिसे सुनकर सभी लोग भावविभोर हो उठे। जब भगवान राम, लक्ष्मण, सीता सहित गंगा के किनारे केवट को पार उतारने के लिए कहते हैं तो केवट कहता है हे प्रभु आपके मरम को मैं जानता हूं। जब शिला नारी बन सकती है तो मेरी नाव तो काठ की है। ये छूते ही उड़ जाएगी। मैं इसी से अपना परिवार पालता हूं। इसलिए प्रभु पांव धुलकर ही हम नाव पर बैठाएंगे। भगवान राम केवट का प्रेम देख मुस्कुरा कर बोले केवट मुझे विलंब हो रहा है। तुम मेरा पैर धुल सकते हो। केवट कठौता में गंगाजल भर कर प्रभु का पैर धुलकर नाव में बिठाकर गंगा पार कराता है। गंगा उस पार उतर कर संकोच भरी निगाहों से भगवान राम सीता से कहते है। सीता आपके पास मुद्रिका है। केवट को उतराई दे दो। केवट राम के चरण में गिरकर याचना करता है और कहता है कि हे नाथ मुझे कुछ नहीं चाहिए। आपको मैंने गंगा पार कराया है। आप मुझे भवसागर से पार कर देना। हे प्रभु जब लौटकर आइएगा तो जो आप देंगे वो प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लूंगा। राम केवट प्रसंग की कथा सुनकर श्रध्दालु भावविभोर हो उठे। कथावाचक ने भगवान राम ने समाज को मर्यादा की शिक्षा प्रदान की और भगवान राम के पद चिन्हों पर मानव जाति को चलने का आवाहन किया। कथा के उपरान्त आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।