विषय विशेषज्ञ के रूप में श्रीमती कल्पना सिंह ने प्रसार व्याख्यान दिया
राजकीय महिला महाविद्यालय बदायूं में दिनांक 30 सितंबर 2023 को गृह विज्ञान विभाग के तत्वाधान में “उन्नत पोषण एवं मानव विकास” शीर्षक पर सप्त दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला के द्वितीय दिवस का आरंभ ईरा विश्वविद्यालय, लखनऊ की शोधार्थी श्रीमती कल्पना सिंह का परिचय विषय विशेषज्ञ के रूप में सभी श्रोतागणों से करवाने के साथ हुआ जो की शीर्षक “शैशवावस्था तथा बाल्यावस्था में पोषण की आवश्यकता” पर व्याख्यान देने हेतु उपस्थित रहीं।
अपने व्याख्यान में उन्होंने सर्वप्रथम शैशवावस्था तथा बाल्यावस्था दोनों अवस्थाओं का सामान्य परिचय छात्राओं को दिया। इसके साथ ही दोनों अवस्थाओं में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों से अवगत कराया तथा किन कारणों से पोषक तत्वों की मांग प्रत्येक अवस्था में बदल जाती है, इस पर भी प्रकाश डाला। पोषक तत्वों में मुख्य रूप से कैलोरी, प्रोटीन, लौह लवण, वसा, कैल्शियम, विटामिन ए, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, फोलिक अम्ल तथा विटामिन सी की कितनी मात्रा प्रत्येक अवस्था में अपने आहार में शामिल करनी चाहिए इसके बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि शैशवावस्था में शिशु के लिए माता का दूध अत्यंत आवश्यक होता है तथा छः महीने तक शिशु को सिर्फ मां के दूध का ही सेवन करवाना चाहिए। छः महीने के बाद शिशु को पूरक आहार देना शुरू करना चाहिए, इसके साथ ही पूरक आहार देने की विधि के बारे में भी उन्होंने विस्तार से बताया। आगे चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि पोषण की आवश्यकता के अनुसार बाल्यावस्था को दो भागों में विभाजित किया गया है जिसमें पहली अवस्था 1 वर्ष से 6 वर्ष तक तथा दूसरी अवस्था 6 वर्ष से 12 वर्ष तक की अवस्था है। इस प्रकार उन्होंने तीनों अवस्थाओं में पोषक तत्वों की आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला तथा प्रत्येक अवस्था के अंत में उन्होंने एक दिन की आहार तालिका के बारे में भी चर्चा की।
व्याख्यान के अंत में डॉ० भावना सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में जुडी़ श्रीमती कल्पना सिंह का आभार व्यक्त किया तथा छात्राओं को अगले व्याख्यान के बारे में जानकारी दी।