जब तक मनुष्य रामकथा नहीं सुनता तब तक मोह नहीं भागता
बिल्सी के माहेश्वरी भवन में रामकथा का दूसरा दिन
बिल्सी। नगर के कछला रोड स्थित माहेश्वरी भवन में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथावाचक अयोध्यादास रामायणी ने रामचरित मानस सुनने और इसमें बताए मार्ग का अनुसरण करने का महत्व बताया। कथावाचक ने कहा कि जीवन के हर संशय का समाधान श्रीराम कथा करती है। रामचरित मानस में नौ दिन में नौ प्रश्न हैं। निर्गुण ब्रह्म सगुण कैसे हो गया, राम जन्म का कारण क्या है। प्रभु के बाल्यकाल की लीला, विवाह लीला, वनगमन लीला और राक्षसों के मारने का प्रयोजन। अयोध्या में रामराज्य अभिषेक और संतों का चरित्र। इन्हीं प्रश्नों के उत्तर नौ दिन में दिए जाते हैं। उन्होने कहा कि भक्त के हृदय में भगवान आए तो आंसू आए बिना रह नहीं सकते। भगवान का स्मरण करते रहिए। हमारे हृदय में विकारों का जो खारा जल भरा है, बाहर निकलना चाहिए। कथावाचक ने कहा कि माता सती ने अभिमान वश कूंभज ऋषि से श्री राम की कथा को नहीं सुना और श्रीराम पर संदेह किया। इसके बाद माता सती बिना बुलाए अपने पिता के यज्ञ में गई। भगवान शंकर का और अपना अपमान सहन नहीं कर सकी। योग अग्नि के द्वारा अपने शरीर को जलाकर भस्म कर दिया। लेकिन माता सती ने दोबारा जन्म लिया और जिसके बाद हर-गौरी का विवाह आनंद पूर्वक संपन्न हुआ। ब्रह्मा ने वेदोक्त रीति से विवाह करवाया। कथावाचक ने इस दौरान अन्य प्रसंग भी सुनाए। इस मौके पर नरेन्द्र गरल, चन्द्रपाल तोष्णीवाल, सत्यपाल वार्ष्णेय, मनोज वार्ष्णेय, लोकेश वार्ष्णेय, नीरज कुमार माहेश्वरी, संजीव कुमार वार्ष्णेय, दुर्गेश वार्ष्णेय, आशीष वशिष्ठ, ओमबाबू वार्ष्णेय, प्रेमपाल सिंह, देशराज शाक्य आदि मौजूद रहे।