गणेश जी ने गजमुख को मूषक बनाकर अपनी सवारी बना लिया
तीसरे दिन सुनाई गई गणेश जी बालरुप की कथाए
बिल्सी। नगर के मोहल्ला संख्या पांच स्थित श्री सिद्धपीठ बालाजी धाम के तत्वावधान में चल रही पांच दिवसीय भगवान गणेश कथा के तीसरे दिन भगवान गणेश का बालरूप का वर्णन करते हुए कथा व्यास भूदेव शंखधार कहा कि यह कहानी असुरों के राज गजमुख की है जो चारों ओर अपना आतंक मचाए हुए था और वह तीनों लोकों में सबसे धनवान और शक्तिशाली बनना चाहता था। वह भगवान भोलेनाथ की हर वक्त तपस्या करता रहता था। एक दिन शिवजी ने गजमुख की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने का कहा इस पर गजमुख ने शिवजी से दैवीय शक्तियां मांग ली और वह बहुत शक्तिशाली बन गया। शिवजी ने उसे वह शक्ति दी कि उसे किसी भी शस्त्र से नहीं मारा जा सकता था। वरदान मिलने के बाद गजमुख और अहंकारी हो गया और वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने लगा। गजमुख के आतंक से सिर्फ ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गणेश जी ही बचे रह सकते थे। गजमुख चाहता था कि सभी देवी और देवता उसकी पूजा करने लगें। इसके बाद शिवजी ने गणेश जी को असुरराज को रोकने के लिए भेजा। गजमुख जब गणेशजी की बात को नहीं माना तो दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में गजमुख बुरी तरह से घायल हो गया। . लेकिन इसके बाद भी वह नहीं माना और उसने अपना रुप बदल लिया और मूषक बन गया। इसके बाद वह मूषक रुप में बाल गणेश पर हमला करने के लिए दौड़ा। इस पर गणेश जी कूदकर उसके ऊपर बैठ गए। इसके साथ ही गणेश जी ने गजमुख को जीवनभर के लिए मूषक में तब्दील कर दिया और उसे हमेशा के लिए अपने वाहन के रुप में रख लिया। इसके बाद गजमुख मूषक रुप में गणेशजी का प्रिय मित्र बन गया। इस मौके पर महंत मटरूमल महाराज, स्वतंत्र राठी, चारु सोमानी, संजीव शर्मा, जितेंद्र वाष्णेय, मोहित माहेश्वरी, मोहित देवल, सौरभ सोमानी, डिंपल सोमानी, यश भारद्वाज, दीपक माहेश्वरी, मुकेश गुप्ता आदि मौजूद रहे।