भारत की छटा बड़ी पावन, स्वर्ग सा अहसास कराती है।
गंग, हिमालय संग जुड़कर हिंदी,संगम बेजोड़ बनाती है।।
बिल्सी। उत्तर प्रदेश हिन्दी प्रचार समिति के तत्वावधान में मनाए जा रहे हिन्दी पखवाड़ा के एक काव्य गोष्ठी नगर के तहसील रोड स्थित नारायण ग्रीन हाउस में आयोजित की। जिसमें कवियों ने अपने काव्य पाठ के माध्यम से 14 सितंबर को मनाए जाने वाले हिन्दी दिवस और हिन्दी का महत्व समझाया। यहां सबसे पहले सरस्वती वंदना ओजस्वी जौहरी ने पढ़ी। उसके बाद बदायूं से पधारे ओजस्वी कवि षटवदन शंखधार ने कहा-
सूर तुलसी कबीरा बिहारी की है,यह फकीरी की है राजदारी की है
एक हिन्दी जुबां अपनी है दोस्तों,बाकी हर एक भाषा उधारी की है।
बिल्सी नगर के युवा कवि ओजस्वी जौहरी ने पढ़ा-
हिंदी हम सबकी भाषा है, हिंदी का सम्मान करो।
छोड़ो अंग्रेजी भाषा, हिंदी में ही सब काम करो।
मातृ भाषा ये है अपनी, पढ़ना लिखना सिखलाती है।
सूर, कबीरा, तुलसी, मीरा हिंदी ही तो बन जाती है।
बदायूं से पहुंचे प्रभाकर सक्सेना ने सुनाया-
भारत की छटा बड़ी पावन, स्वर्ग सा अहसास कराती है।
गंग, हिमालय संग जुड़कर हिंदी,संगम बेजोड़ बनाती है।।
बदायूँ से आए हर्षवर्धन मिश्रा ने सुनाया-
जनमानस की आन हुई है हिंदी से,भारत की पहचान हुई है हिंदी से
यूं तो हर भाषा का आँचल मिला हमें,ये माटी धनवान हुई है हिंदी से
बदायूं के गीतकार ललतेश कुमार ललित ने पढ़ा-
हिंदी का मस्तक ऊंचा है यह सारी दुनिया मान रही
तुम भी हिंदी हम भी हिंदी दुनिया इसको पहचान रही
है नम्रता की मूरत यह ये विनम्रता की सूरत है
तेरी हिंदी मेरी हिंदी हिंदी सब की पहचान रही
बदायूं से पधारे युवा कवि अचिन मासूम ने पढ़ा-
प्रभु से जो मिला हमको सुखद उपहार है हिन्दी,
है कुनवा शब्द का सीधा सरल परिवार है हिन्दी,
झलक सम्मान की इसमें हमारी मां के जैसी है,
हृदय की भावनाओं का सकल आधार है हिन्दी।।
इसके अलावा नरेंद्र गरल, विष्णु असावा, पवन शंखधार, ह्दयेनदर शंखधार, धुव्र यदुवंशी, प्रदीप दुबे, हरगोविंद पाठक आदि ने भी अपना काव्य पाठ करके श्रोताओं की वाहवाही लूटी|।