व्यौहार राजेन्द्र सिंह और हिंदी दिवस
राजेश कुमार शर्मा आचार्य
व्यौहार राजेन्द्र सिंह को जानते है आप ?
हम हिंदी दिवस 14 सितंबर को क्यों मनाते है ?
व्यौहार राजेन्द्र सिंह के अथक प्रयासों से हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला। मैथली शरण गुप्त , हजारी प्रसाद द्विवेदी ,महादेवी वर्मा , काका कालेलकर, सेठ गोविंद प्रसाद के प्रयासों से 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में चुना गया। और 14 सितंबर को ही व्यौहार राजेन्द्र सिंह का जन्म हुआ था।
हिंदी दिवस पर एक फैशन चल गया है हिंदी को कमतर मान कर उसकी खिल्ली उड़ाई जाए। जबकि अन्तराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी अपने सशक्त दौर में पहुँच गई है। हिंदी को सम्मान देने की जरूरत है हिंदी पर अभिमान करने की जरूरत है।
हिंदी ऐतिहासिक साहित्यिक रूप से आत्मनिर्भर है।
हिंदी की महत्ता को उसकी शक्ति को देख आज माइक्रोसॉफ्ट गूगल फेसबुक जैसे संस्थान हिंदी को स्वीकार कर रहे है। उस पर शोध कर रहे है। हिंदी जीवकोपार्जन का भी सशक्त माध्यम है। एक भ्रांति है हिंदी से रोजगार नही मिलता लेकिन आज हिंदी देवनागरी विश्व के कई विश्वविद्यालयों में एक विषय के रूप में स्थापित है।
हिंदी को कमतर न समझिये हिंदी विश्व मे सबसे ज्यादा बोली और समझने वाली भाषाओं में एक है।
हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलिये। भविष्य हिंदी का ही है अभी से स्वीकार करें।
हिंदी का सम्मान कीजिये हिंदी पर अभिमान कीजिये क्योकि
हिंदी है हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा