सुबिचार
मन की लिखूं तो शब्द रूठ जाते हें
और
यदि सच लिखूं तो अपने रूठ जाते हें..
जिंदगी को समझना मुश्किल है……
कोई सपनौ के खातिर अपनों से दूर रहता है।
और
कोई अपने के खातिर सपनौ से दूर रहता है ।
किसी के साथ बैठना बहुत आसान है
किन्तु
किसी के साथ खड़े रहना बहुत मुश्किल है ।
आइए हम सब मनन करें
एकता के सूत्र में बंधे
अपनी लेखनी से
इं पी के शर्मा
सर्व समाज जागरूकता अभियान,
विश्व हिन्दु परिषद बजरंग दल
बदायूँ ।