सबसे जिम्मेदारी का काम है प्राइमरी स्कूल टीचर का आपके सामने एक नन्हा पौधा है और एक बड़ा-सा वृक्ष है। किसे ज्यादा देखभाल की जरूरत है? किसे ज्यादा खाद, पानी, धूप व प्रकाश की जरूरत है? किसे आंधी, तूफान एवं बारिश से बचाने की जरूरत है? किसी प्रेम और कोमलता से सहेजे जाने की जरूरत है? जाहिर है, उस नन्हें पौधे को ताकि वह कल एक मजबूत, घना तथा हरा वृक्ष बन सके। वैसे ही हैं हमारे नन्हें-मुन्ने बच्चे नन्हें पेड़ की तरह जो सही शिक्षा मिलने पर निपुण, नैतिक और जिम्मेदार नागरिक बन सकते हैं। 4 साल की उम्र में बच्चा मां की गोद से निकल कर दुनिया में कदम रखता है। उस वक्त उसके जीवन में सबसे अहम भूमिका निभाने की जिम्मेदारी शिक्षक की होती है। शिक्षक जितना प्रशिक्षित, समझदार और संवेदनशील होगा, बच्चों पर उतना ही सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एक शिक्षक की जिम्मेदारी सिर्फ किताबी ज्ञान देना नहीं बल्कि बच्चे का सर्वांगीण विकास करना होता है। सवाल यह भी है कि वह कितना चरित्रवान है, उसमें कितनी उदारता, मानवता, करुणा और जिम्मेदारी की भावना है। एक बच्चे को ये सब चीजें सिखाना और भविष्य का बेहतर नागरिक बनाना एक शिक्षक की जिम्मेदारियों का हिस्सा है, लेकिन यह तब तक मुमकिन नहीं, जब तक देश और समाज भी शिक्षक के प्रति अपनी जिम्मेदारी न निभाएं, वे बेहतर शिक्षक तभी हो सकते हैं, जब उनके काम की परिस्थितियां बेहतर हों, उन्हें सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मिले, उनकी नौकरी सुरक्षित हो, उन्हें उनके श्रम का उचित पारिश्रमिक मिले, उनकी सर्विस कंडीशन बेहतर हो। पुरानी पेंशन बहाल हो।