सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहा है श्री कृष्ण जन्मोत्सव को जयंती योग के साथ विशेष_—- ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा
30 साल के बाद कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा अद्भुत संयोग,
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस साल अष्टमी तिथि दो दिन पड़ने के कारण लोगों को तिथि को लेकर काफी असमंजस है।
कब है जन्माष्टमी
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा से जानते हैं कब बनेगी जन्माष्टमी ज्योतिषाचार्य के अनुसार अष्टमी तिथि प्रारंभ: 06 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 39मिनट पर
अष्टमी तिथि समापन: 07 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 16 मिनट तक
कृष्ण जन्माष्टमी तिथि- 6 और 7 सितंबर 2023
कृष्ण जन्माष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार रोहिणी नक्षत्र आरंभ- 6 सितंबर को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू
रोहिणी नक्षत्र समाप्त- 7 सितंबर को सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक
निशिता पूजा का समय- 7 सितंबर को रात 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक (गृहस्थ लोगों के लिए)
निशिता पूजा का समय- 8 सितंबर को सुबह 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक (वैष्णव संप्रदाय के लिए)
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल कृष्ण जन्माष्टमी पर काफी अद्भुत योग बन रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 6 सितंबर को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।
बता दें कि सर्वार्थ सिद्धि योग के दौरान चंद्रमा वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र होने पर विशेष संयोग बन रहा है।
कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र बन रहा है जिसके चलते सर्वार्थ सिद्धि योग निर्मित हो रहा है।
कब मनाएं गृहस्थ और वैष्णव के लोग कृष्ण जन्मोत्सव?
जन्माष्टमी के पहले दिन गृहस्थ लोग और दूसरे दिन साधु-संत लोग भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। ऐसे में इस बार गृहस्थ लोग 6 सितंबर को और वैष्णव लोग 7 सितंबर 2023 को जन्माष्टमी मनाएंगे।
इस दिन अर्ध कालीन तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष के चंद्रमा का दुर्लभ संयोग बन रहा है।
ये सभी योग 30 वर्षों में पहली बार एक ही साथ पड़ रहे हैं।
धार्मिक पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में हुआ था। पिछले कुछ वर्षों में जन्माष्टमी तिथि की रात में वृष का चंद्रमा तो दिखाई देता था परन्तु रोहिणी नक्षत्र का योग नहीं बन पाता था।
परन्तु इस वर्ष जन्माष्टमी यानी 6 सितम्बर, बुधवार की रात को रोहिणी नक्षत्र और वृष का चंद्रमा दोनों का योग बनने जा रहा है।
जयंती योग
बिना रोहिणी नक्षत्र की जन्माष्टमी को केवला कहा जाता है।
वहीं जब रोहिणी नक्षत्र के साथ जन्माष्टमी पड़े तो उसे जयंती योग कहा जाता है।
इस वर्ष जयंती योग के दिन बुधवार भी पड़ रहा है जिससे ये अति उत्कृष्ट दिन बन जाता है। जयंती योग की जन्माष्टमी के दिन व्रत, अर्चना और उत्सव मनाने से कोटि जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
इसके साथ ही इस दिन पूजन से पितरों को भी मोक्ष और शान्ति की प्राप्ति होती है।
राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य
9058810022