10:10 am Friday , 31 January 2025
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मोक्ष की प्राप्ति का एकमात्र उपाय है मोह का परित्याग

मोक्ष की प्राप्ति का एकमात्र उपाय है मोह का परित्याग

जैनियों ने मनाया पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक

बिल्सी। जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक मोक्ष सप्तमी के रूप में मनाया गया। नगर के दिगंबर जैन मंदिरों में निर्वाण लाडू चढ़ाए गए। तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का चरित्र क्षमा की प्रति मूर्ति है। उनके जन्म के 10 भवों से कमट का जीव प्रत्येक भव में क्रोध, हिंसा की पराकाष्ठा पर पहुँचा, परंतु पार्श्वनाथ हर भव में उसे क्षमा करते गए। मोक्ष सप्तमी का महत्व समझाते हुए मीडिया प्रभारी प्रशांत जैन ने कहा कि पार्श्व प्रभु की निर्वाण बेला का पावन पर्व मोक्ष सप्तमी प्राणी मात्र को पावन पवित्र करें। सभी के दिलों को परस्पर जोड़कर हम चैतन्य प्रभु से जोड़ें, पुण्यात्मा जहाँ भी चरण रखते हैं, वहाँ दुःख रूपी अंधकार स्वतः ही प्रकाश पा जाते हैं। सभी सुविधाएँ सहज सुलभ हो जाती हैं, पारस प्रभु का स्पर्श हमको स्वर्ण नहीं पारस बना देता है। मोक्ष की प्राप्ति का एकमात्र उपाय है मोह का परित्याग। जिस प्रकार भगवान पार्श्वनाथ ने अनेक उपसर्गों को सहन करते हुए कठिन तपस्या की एवं मोह का त्याग कर अपने जीवन में समता का निर्माण किया एवं मोक्ष को प्राप्त किया, उसी प्रकार हर श्रावक को भी मोह छोड़ना पडेगा, तभी आत्मा का कल्याण होगा। इस मौके पर अनिल कुमार जैन, सुनील जैन, नीरज जैन, नीरज जैन, स्पर्श जैन, प्रीत जैन, निखिल जैन, अनुपम जैन, डॉ आरती जैन, मोना जैन, स्वीटी जैन आदि मौजूद रहे।