भगवान राम ने किया था अहिल्या का उद्धार
बिल्सी। नगर के कछला रोड स्थित माहेश्वरी धर्मशाला में चल रही श्रीराम कथा के छठें दिन कथावाचक पंडित अशोक दीक्षित ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने पुत्र का नाम राम रखता है तो उसे बड़े प्यार से पुकारते हैं। ऐसा लगता है कि भगवान उसकी गोद में बैठे हैं। क्योंकि राम का नाम लेेने में सभी लोग गर्भ समझाते है। इस दौरान उन्होंने अहिल्या उद्धार की कथा भी सुनाई। उन्होंने कहा कि महाऋषि वशिष्ठ ने दशरथ के चारों पुत्रों के नामकरण संस्कार किया। उनका नाम राम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न रखा। गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण कर आने के बाद महाऋषि विश्वामित्र ने राक्षसों का वध करने के लिए और अपने यज्ञ पूर्ण करने के लिए राजा दशरथ से राम लक्ष्मण को अपने साथ वन ले जाने की बात कही। जिसके बाद वन में राक्षसी ताड़का के साथ अन्य राक्षसों का भगवान राम ने वध किया। इसी बीच राजा जनक का बुलावा आया। विश्वामित्र के साथ भगवान राम-लक्ष्मण राजा जनक के यहां जाने के लिए निकले। इस बीच अहिल्या आश्रम में जाकर देखा वहां एक शिला के पास तुलसी का हरा पौधा है। जिसे देखकर प्रभु श्रीराम ने विश्वामित्र से इस संबंध में पूछा। तब विश्वामित्र ने बताया कि इस शिला को वर्षों से आपका इंतजार है। आपके स्पर्श मात्र से यह शिला मां अहिल्या में बदल जाएगी। ऐसा सुनकर प्रभु श्रीराम ने अपने कोमल चरण से शिला को छुआ। मां अहिल्या ऋषि गौतम के श्राप से मुक्त हो गईं। इस मौके पर कथा में सभासद प्रखर माहेश्वरी, राजीव माहेश्वरी, नरेंद्र गरल, लोकेश वार्ष्णेय, भुवनेश्वर वार्ष्णेय, आशीष वशिष्ठ, सोमेंद्र माहेश्वरी, डिंपल सोमानी, गोविंद सोमानी, विपिन मिश्रा, रूपेंद्र पाठक. रेशू माहेश्वरी आदि ने श्रीराम कथा का रसपान किया।