बदायूँ : 28 जुलाई। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित एक दिवसीय शिक्षक संकुल कार्यशाला का आयोजन और डायट ऑडिटोरियम में मुख्य अतिथि विधान परिषद के सदस्य डॉ0 जयपाल सिंह ‘व्यस्त’ एवं जिलाधिकारी मनोज कुमार की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर एवं माल्यार्पण कर किया गया। मुख्य अतिथि डॉ0 जयपाल सिंह ने कहा कि एमएलसी बनने से पहले मैं भी शिक्षक रहा हूं। इसलिए मैं शिक्षक जिम्मेदारी समझता हूं। उन्होंने कहा कि मेहनत से पढ़ा कर बच्चों को निपुण बनाना है जिसका अर्थ है कि कुशल शिक्षक का कार्य करना। शिक्षण कार्य को इमानदारी से किया जाए लक्ष्य निर्धारित कर बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराई जाए। पढ़ाने से पहले खुद की एक्सरसाइज कर ले। उन्होंने कहा कि सभी बच्चे पढ़ाई में एक समान नहीं होते इसलिए उन पर ध्यान देकर सभी को एक समान क्रम में लाने का प्रयास करें। बच्चों की आर्थिक सामाजिक स्थिति पर भी शिक्षकों को ध्यान देना चाहिए संवेदनशील होकर पढ़ाएं उन्होंने कहा कि बच्चों की पहली पाठशाला प्राइमरी ही होती है यही से देश का भविष्य तय होता है। परीक्षा में बच्चे अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हो इसके लिए उनके साथ पहले से ही मेहनत की जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से ऊर्जा मिलती है यह समय-समय पर आयोजित होते रहना चाहिए। बच्चों में इतना आत्मविश्वास जगा दें कि वह किसी भी स्तर पर प्रतिभाग करने से ना घबराए। देश का भविष्य आपके हाथों में है इसको उज्जवल बनाने में कोई कमी ना छोड़े।
डीएम ने कहा कि शिक्षक की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है एक शिक्षक का किरदार इतना महान होता है कि वह अपने शिष्य की सफलता को देखकर खुद को सफल समझता है। शिक्षक का काम होता है कि वह विद्यार्थियों में छिपी प्रतिभाओं को उभारे। उन्होंने कहा कि शिक्षक वह किसान है जो दिमाग में ज्ञान के बीच होता है। गुरु ज्ञान का सागर होता है जो ज्ञान से बच्चों की जिंदगी को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि शिष्य की सफलता उसके गुरु की काबिलियत का परिचय देती है। उन्होंने कहा कि विद्यालयों का वातावरण अच्छा रखें जिससे विद्यार्थियों का पढ़ने में मन लगे। ऐसे मॉडल पर काम करें कि अन्य जनपद भी बदायूं से प्रेरित होकर इसे अपने जनपदों में लागू करें।