Archana Upadhyay तुमको लिखती हूँ । मिटाती हूँ और सोचती हूँ । ये कमियाँ मिटती क्यों नहीं। । ये शब्दों की भाषा सरल होती क्यों नहीं। ।
Read More »प्रेम – Gunjan Agrawal
Gunjan Agrawal प्रेम में एक दूसरे के साथ रहना , इतना “मायने” नहीं रखता, जितना कि हर कदम पर , एक- दूसरे के साथ चलना रखता है..!!! गुंजन शिशिर
Read More »अहंकार – Pushpa
Pushpa रिश्ते अंकुरित होते हैं प्रेम से ! जिंदा रहते हैं संवाद से ! महसूस होते हैं संवेदनाओं से ! जिये जाते हैं दिल से ! मुरझा जाते हैं गलत फहमियों से ! और बिखर जाते हैं अहंकार से….
Read More »शुभ रविवार – आज का शुभ दर्शन
धूप संग- Seema Sharma
Seema Sharma धूप संग मैंने खेलना सीख लिया, हवा से मैंने बात करना सीख लिया। चूड़ियों की खनक में बसी है मेरी हंसी, मैंने खुद से प्रेम करना सीख लिया।
Read More »कैसे देखूं मैं – Gunjan Agrawal
Gunjan Agrawal कैसे देखूं मैं दुनियां के और नजारे, इन नज़रों को तेरे दीदार से, अब फुरसत ही कहां मिलती..!!! गुंजन शिशिर
Read More »अपनी लिखी – Archana Upadhyay
Archana Upadhyay अपनी लिखी कहानियों में ही जी लेती हूँ। । वो हिस्सा,जिसको कभी सच में जी नहीं पाई।
Read More »जय श्री श्याम जी
जरूरी नहीं – Koki Tyagi
Koki Tyagi माननीय, मानवीय हो ..जरूरी नहीं …।। सुप्रभात
मौन और एकांत- Pushpa
Pushpa मौन और एकांत आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ॥ मित्रता विश्वास पर निर्भर करती है। धन, शक्ति, शिक्षा व ज्ञान पर नहीं॥
Read More »