🍃ग़ज़ल भीतर भीतर रोज़ दहूँ कितनी ग़ज़लें और कहूँ मुझमें हैं किरदार कई कैसे ख़ुद के साथ रहूँ सुन री ओ मदमस्त पवन चल मैं तेरे साथ बहूँ झूठ बहुत धमकाता है जब भी सच के साथ रहूँ तू भी मेरे साथ रहे मैं भी तेरे साथ रहूँ _______ सोनरूपा
Read More »🍃ग़ज़ल भीतर भीतर रोज़ दहूँ कितनी ग़ज़लें और कहूँ मुझमें हैं किरदार कई कैसे ख़ुद के साथ रहूँ सुन री ओ मदमस्त पवन चल मैं तेरे साथ बहूँ झूठ बहुत धमकाता है जब भी सच के साथ रहूँ तू भी मेरे साथ रहे मैं भी तेरे साथ रहूँ _______ सोनरूपा
Read More »