5:35 pm Friday , 31 January 2025
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बदायूं परिक्रमा

अपनी ही परछाइयों से – Sonroopa Vishal

अपनी ही परछाइयों से दूर होकर क्या मिलेगा चाँद को आकाश खोकर रेत में उम्मीद के कुछ बीज बो कर पत्थरों के सामने आए हैं रोकर अब मेरे जज़्बात लावारिस नहीं हैं काग़ज़ों में रख दिये हैं सब संजो कर कुछ पलों को ही सही मुस्कायेगी वो आईना देखेगी जब …

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नजर आता है – Suman

Suman जाने उस शख्स को कैसा ये हुनर आता है रात होती है तो आँखों में उतर आता है मैं उस के ख्यालों से बच के कहाँ जाऊं वो मेरी सोच के हर रस्ते पे नजर आता है

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सिमटते जा रहे हैं – Sugandha Sharma

Sugandha Sharma सिमटते जा रहे हैं दिल और ज़ज्बातों के रिश्ते सौदा करने में जो माहिर है बस वही कामयाब है.. 💞 💞 #सुप्रभात_जिंदगी #जय_माता_दी #ॐ_नमः_शिवाय #सुगंधा

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