ढूंढता हूँ फिर वही नाता पुराना चाहिए।
मुफलिसी में भी चले वो ही जमाना चाहिए।।
बिल्सी। मंगलवार की शाम उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सेवा समिति के तत्वावधान में बिसौली रोड स्थित पद्मांचल जैन मंदिर पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजित की गई। जिसका शुभारंभ कवि विष्णु असावा ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर मां शारदे की वंदना के साथ किया। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे बदायूं के शायर जनाब अहमद अमजदी ने अपनी रचना पढ़ते हुए कहा।
छीन पाया ना जब हया हम से
छीन ली वक्त ने रिदा हम से
माॅं की कुर्बानियां ही ऐसी हैं
हो नहीं सकता हक़ अदा हम से
क़ासिम खैरवी ने पढ़ा-
सितमगर से इनायत चाहता है
तू क़ातिल से ह़िफ़ाज़त चाहता है
न कर तू यार नादानी की बातें
ग़लत धंदे मे बरकत चाहता है
कवि विष्णु असावा ने पढ़ा-
ढूंढता हूँ फिर वही नाता पुराना चाहिए।
मुफलिसी में भी चले वो ही जमाना चाहिए।।
कवि प्रशान्त खण्डेलवाल ने पढ़ा-
पल-पल तरसे थे जिस पल के लिए
वो पल भी आया एक पल के लिए
सोचा रोक लूं उस पल को हर पल के लिए
वो पल न रुक सका एक पल के लिए
युवा कवि ओजस्वी जौहरी ने पड़ा कि
वनवास भोगते हैं हम राम की तरह
दिन तो निकल रहे हैं मगर शाम की तरह.
कवि प्रेम दक्ष ने सुनाया-
मिट जायगी दो दिलो की दूरी सरहदों पर।
यदि रंग हर सरहदों पर प्रेम का रख दूँ।
कार्यक्रम के समापन से पूर्व सभी कवियों को प्रतीक चिन्ह व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। समिति के अध्यक्ष विष्णु असावा एवं कार्यक्रम संयोजक प्रशांत जैन, पीयूष वार्ष्णेय, वंश गिरी आदि लोग मौजूद रहे।